रविदास घाट के उस पार माँ गंगा के तट पर निकले विस्तृत रेत के टापू पर दिखा महाकुम्भ

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राम छाटपार शिल्प न्यास भारत के द्वारा ‘रेत में आकृति की खोज’ की 23वीं वार्षिक कार्यक्रम का हुआ आयोजन

वाराणसी। गुरु राम छाटपार के 81वें जन्म दिवस के अवसर पर 19 जनवरी 2025 को ‘राम छाटपार शिल्पन्यास’ भारत द्वारा माँ गंगा की रेत पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यक्रम माँ गंगा के तट पर निकले विस्तृत रेत के टापू पर आयोजित हुआ। 400 से 500 प्रतिभागी कलाकार रेत पर रेत द्वारा ही नवीन प्रयोगात्मक एवं स्वतन्त्र मूर्तिशिल्प की रचना में सृजनरत रहे। जो अपने आप में रोमांचक एवं चुनौतीपूर्ण था। इस कार्यक्रम में स्थानीय एवं देश के अन्य राज्यों से पधारे कलाकारों की कला दक्षता को सृजित करने एवं प्रदर्शित होने का अद्‌भुत अवसर देखने को प्राप्त हुआ। विभिन्न वर्गों के कलाकार पूरी तन्नयता से अपनी कलाकृति के प्रति समर्पित रहे।

राम छाटपार शिल्पन्यास’ की स्थापना 1989 में गुरु राम छाटपार (आधुनिक मूर्तिशिल्पी) की स्मृति में उनके छात्रों मित्रों के सहयोग से हुआ। न्यास के प्रथम अध्यक्ष प‌द्मश्री स्वर्गीय प्रो. शंखो चौधुरी (वरिष्ठ मूर्तिकार) थे। गुरु राम छाटपार के कला में समर्पण की भावना से प्रेरित होकर यह संस्था आधुनिक एवं समकालीन मूर्तिकला के क्षेत्र के विकास में नवीन प्रयोगों को लेकर समर्पित है। पिछले 30 वर्षों से राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों को आयोजित करते हुए यह संस्था अच्छी खासी ख्याति प्राप्त कर रही है। शिल्पन्यास जल्द ही एक “अन्तर्राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय” की कार्य योजना में समर्पित है।

रेत पर आकृति की खोज’ में विषेष रूप से काशी हिन्दू विष्ववि‌द्यालय, महात्मा गाँधी काषी विद्यापीठ के ललित कला के छात्रों एवं गोरखपुर, आजमगढ़, लखनऊ, इलाहाबाद आदि के अलावा देश के विभिन्न ललित कला के छात्रों तथा शहर के कला प्रेमियों की भागीदारी रही। पिछले 22 वर्षों से इनका अथक परिश्रम एवं सहयोग वाराणसी बहर के कला-विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रहा है। भारतवर्ष का यह इकलौता कार्यक्रम अपने आप में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का अनूठा कार्यक्रम है। गुरु राम छाटपार के जन्मदिवस पर मनायी जाने वाली रेत में आकृति की खोज कार्यक्रम के आधार पर गंगा नदी के अन्य तटवर्ती शहरों में भी पिछले कुछ वर्षों से इस प्रकार का आयोजन शुरू हुआ है जो कला को सुदृढ़ करने का एक अच्छा जरिया है।

रेत पर इस बार कलाकारों द्वारा महाकुंभ, रतन टाटा, बाबा काशी विश्वनाथ, समुद्र मंथन, कुंभ में साधु संतों, गौ हत्या बंद करो, बेटी बचाओं, बसंत पंचमी को देखते हुए लक्ष्मी और गणेश अन्य कलाकृति बनाए गए थे जो लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। सुबह से ही कलाकार विभिन्न जगहों से पहुंचे थे तथा अपने टीम के साथ कलाकृति को मूर्त रूप दिए।

 

मानवीय संवेदनाओ की सुन्दरतम् अभिव्यक्ति ही कला है एवं जब कलाकार उसे अपने अंगुलियों के स्पर्श से स्पन्दित करता है तो वह एक तरह की अनमोल कलाकृति का रूप ग्रहण कर लेता है। जहाँ पर दर्शक भी आनन्द की अनुभूति से ओत-प्रोत हो जाता है, और वाह-वाह कह उठता है। माँ गंगा के तट पर अनवरत विस्तृत जल के साथ कहीं- कहीं निकले बालू के टीले पर जब उत्कृष्ट कलाकृतियों का समागम होता है तो दर्शक एवं कलाकार भी कला-आनन्द से आल्हादित एवं स्पन्दित हो उठता है। इसी कार्यक्रम के ‌द्वारा कला का समाज के साथ एवं समाज का कला के साथ एक अनूठा संगम होता है जो जीवन के अर्थ को पूरा करता है।

रेत के इस वार्षिक आयोजन में सभी कलाकारों के लिए रेत का विस्तृत पटल वर्ष भर के सामाजिक, राजनितिक घटनाक्रमों एवं अच्छाइयों बुराइयों को प्रदर्षित करने का कोरा कैनवास सा होता है जिस पर सभी कलाकार रेल के माध्यम से इन घटनाक्रमों को अपने तरीके से व्यक्त करते हैं।

 

प्रत्येक वर्षों की भांति एक-एक हजार रूपये के 30 नगद पुरस्कार “राम छाटपार शिल्पन्यास” द्वारा प्रदान किया गया। शहर के कलानुरागियों, साहित्यकारों, प्रतिष्ठित लोगों की भागीदारी भी हमेशा की तरह लोगों का उत्साह वर्धन किया। संयोजक कलाकार हमेशा की तरह आयोजन को सफल बनाने में लोगों का आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया।

 

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