अप्रियतम शौर्य की प्रतिमूर्ति,नारी शक्ति और अस्मिता की प्रतीक महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर रैली निकालकर मनाई गई जयंती

स्थान जालौन यूपी
भारत की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीरांगना लक्ष्मी बाई की जयंती पर जनपद जालौन के मुख्यालय उरई के कोंच बस स्टैंड से लेकर टाउन हॉल तक विभिन्न स्कूलों के छात्र छात्राओं ने संयुक्त रूप से रैली निकाल कर उनकी जयंती मनाई जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ घनश्याम अनुरागी सहित शहर के तमाम साजसेवियों ने इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और जयंती के कार्यक्रम को हर सौलास के साथ लक्ष्मी बाई की मूर्ति पर माल्यार्पण करके उनके देश के प्रति उनके साहसिक योगदान को याद किया
बुंदेला हर बोलो के मुंह खूब सुनी कहानी थी ,खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी
आपको बतादे कि महारानी रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 में बनारस के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम मणिकर्णिका था, जिन्हें प्यार से मनु और छबीली बुलाया जाता था।
14 साल की उम्र में, उनकी शादी 1842 में झाँसी के महाराजा गंगाधर राव से हुई थी। शादी के बाद वह लक्ष्मीबाई के नाम से जानी गयीं।1851 में उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम दामोदर राव रखा गया था, लेकिन चार महीने बाद उनके बेटे मृत्यु हो गई, इससे राजा गंगाधर राव को तो इतना गहरा धक्का पहुंचा कि वे फिर स्वस्थ न हो सके और 21 नवंबर 1853 को उनका निधन हो गया।
महाराजा का निधन महारानी के लिए असहनीय था, लेकिन फिर भी वे घबराई नहीं, उन्होंने विवेक नहीं खोया सिर्फ 29 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंग्रेज साम्राज्य की नींव हिला दी और अंग्रेज़ी सेना के विरुद्ध एतिहासिक युद्ध लड़कर अमर हो गयी, वह 18 जून 1858 को रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं।
बाइट घनश्याम अनुरागी जिलापंचायत अध्यक्ष जनपद जालौन